नेताजी की 125वीं जयंती पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी का नहीं हुआ चयन।
जहां एक ओर भारत स्वतंत्रता के 75 साल होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी ओर ऐसा लग रहा है स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान फीका पड़ता जा रहा है। इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में कुल 21 झांकियां दिखेगी, जिसमें 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की और 6 विभिन्न मंत्रालयों की झांकियां दिखेगी, लेकिन उसमें सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर बनाई गई बंगाल की झांकी नहीं दिखेगी।
सरकार के इस फैसले पर तमाम राजनीतिक दलों ने विरोध दर्ज किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले पर कहा कि यह जानकर हैरानी होती है कि बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र दिवस समारोह में इस अवसर को मनाने के लिए कोई जगह नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिंद फौज के योगदान की स्मृति में बनाई गई थी। मुख्यमंत्री ने पत्र लिखकर कहा की पश्चिम बंगाल की जनता, केंद्र सरकार के इस रवैए से काफी आहत हैं।
मेरे पिता की विरासत का राजनीतिक कारणों से अक्सर शोषण होता आया है: नेताजी की बेटी
नेताजी की झांकी को गणतंत्र दिवस में शामिल नहीं किए जाने से उनकी बेटी अनीता बोस फाफ भी काफी नाराज दिखीं। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि ऐसे वक्त में जब भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और उनके पिता की 125वीं जयंती भी पूरी हो रही है। इस अवसर पर उनकी झांकी को परेड में शामिल न करना, बहुत हीं अजीबोगरीब है। पिछले साल जब बंगाल में चुनाव था तो बंगाल के विभिन्न स्थानों पर नेताजी की जयंती का धूमधाम से आयोजन किया गया था। इस साल कुछ नहीं हो रहा इसलिए ये मसला निश्चित रूप से उतना महत्वपूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की विरासत का राजनीतिक कारणों से हमेशा आंशिक तौर पर शोषण होता आया है। अनीता ने एक बार फिर केंद्र सरकार से जापान के रेनकोजी मंदिर में रखे अवशेषों का डीएनए टेस्ट करवाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है। कहा इससे सच्चाई सामने आ जाएगी।
चयन की प्रक्रिया-
झांकियों की चयन की प्रक्रिया एक व्यापक प्रक्रिया है जो चार महीने पहले शुरू हो जाती है यानि कि सितंबर से हीं शुरू हो जाती है। गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है, इसलिए इससे जुड़े सारे फैसले रक्षा मंत्रालय हीं लेती है। सबसे पहले जुलाई महीने तक एक थीम चुना जाता है और सितंबर में सभी राज्यों को पत्र भेजा जाता है। गणतंत्र दिवस 2022 की थीम आजादी की 75वीं वर्षगांठ से जुड़ी है। जिसमें विशेष तौर पर 75वें साल में भारत, स्वंत्रता संग्राम, विचार और उपलब्धियों से जुड़े विषय हैं। इसमें कुछ दिशानिर्देशों को हमेशा ध्यान में रखा जाता है। जैसे कि दो अलग-अलग राज्यों की झांकी एक जैसी नहीं हो सकती, क्योंकि इससे देश की विविधता को दर्शाया जाता है इसलिए राज्यों को पहले अपने झांकियों का स्केच बनाकर भेजना होता है। उसमें सिर्फ राज्य/केंद्रशासित प्रदेश या मंत्रालयों के नाम होने चाहिए। आगे हिंदी में और पीछे अंग्रेजी में नाम लिखे जाते हैं और बगल में क्षेत्रीय भाषा में लिखे जा सकते हैं। इनके अलावा कोई भी नाम झांकी पर नहीं लिखा जा सकता है।
रक्षा मंत्रालय हीं कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्य निर्देशन से जुड़े विशेषयों की एक समिति का गठन करती है। यही समिति गहन चर्चा और विचार के बाद झांकियों का चयन करती है और उसमें क्या जोड़ना है और क्या हटाना है तय करती है। अगर किसी झांकी में नृत्य जोड़ना है तो उसकी वीडियो क्लिप मांगी जाती है। झांकी के 3D मॉडल का चयन सबसे कठिन होता है। 3D मॉडल की झांकी को कभी भी खारिज किया जा सकता है। झांकियों के निर्माण के लिए राज्य अपने हिसाब से डिजाइनर चुन सकते हैं। उस डिजाइनर को झांकियों के चयन के वक्त उपस्थित रहना होता है, नहीं तो झांकी को बाहर निकाला जा सकता है। दो राज्यों के लिए एक डिजाइनर नहीं हो सकते हैं ताकि झांकी निर्माण में किसी एक का दबदबा न रहे।
अंतिम चयन में समिति, विजुअल अपील, जनता पर प्रभाव और विषय के ब्योरे पर ध्यान देती है। रक्षा मंत्रालय प्रत्येक प्रतिभागी को एक ट्रैक्टर और ट्रेलर देती है। अगर गाड़ियां बदली जाती है फिर भी गाड़ियों की संख्या दो से अधिक नहीं हो सकती है। ट्रैक्टर को झांकी के विषय के अनुरूप होना चाहिए। मंत्रालय के मुताबिक ट्रैक्टर और ट्रेलर के बीच छह फीट की दूरी रहना चाहिए ताकि मोड़ने में आसानी हो। जिस ट्रेलर पर झांकी रखी जाती है वह 24 फूट 8 इंच लम्बा, 8 फूट चौड़ा और 4 फूट दो इंच ऊंचा होता है। उसकी क्षमता 10 टन की होती है। झांकी जमीन से 45 फूट से ज्यादा लंबी, 14 फूट चौड़ी और 16 फूट से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिए।
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